बढ़ी पेंशन पाने के लिए 80 साल की जरूरत नही, 65 साल से मिलेगा बढ़ी पेंशन? Increased pension

By Meera Sharma

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Increased pension

Increased pension: आज हमारे देश में लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारी एक गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। उनकी मूलभूत चिंता यह है कि क्या उन्हें अपने जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए अस्सी वर्ष की आयु तक प्रतीक्षा करनी होगी। वर्तमान व्यवस्था के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपने जीवन के आठवें दशक में पहुंचता है, तभी उसे अतिरिक्त आर्थिक सहायता प्राप्त होती है। यह स्थिति न केवल व्यावहारिक रूप से कठिन है, बल्कि मानवीय संवेदना के विपरीत भी लगती है।

मौजूदा पेंशन व्यवस्था की कमियां

हमारी वर्तमान पेंशन नीति में एक बड़ी खामी यह है कि यह उस उम्र को लक्षित करती है जब अधिकांश लोग जीवित ही नहीं रह पाते। साठ की उम्र के बाद ही अधिकतर बुजुर्गों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनकी शारीरिक क्षमता घटने लगती है और चिकित्सा खर्च बढ़ने लगते हैं। ऐसे में उनकी आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो जाती है।

पेंशनभोगियों की उचित मांगें

सेवानिवृत्त कर्मचारी संगठनों द्वारा प्रस्तुत सुझाव काफी तर्कसंगत लगते हैं। उनका कहना है कि पैंसठ वर्ष की आयु से ही क्रमिक रूप से अतिरिक्त राशि देना शुरू करना चाहिए। सत्तर साल में दस प्रतिशत, पचहत्तर में पंद्रह प्रतिशत और अस्सी में बीस प्रतिशत की यह व्यवस्था अधिक न्यायसंगत होगी। इससे बुजुर्गों को उनके जीवन के कठिन समय में वास्तविक सहारा मिल सकेगा।

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स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियां

बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य संबंधी खर्चे तेजी से बढ़ते जाते हैं। दवाइयों की बढ़ती कीमतें, नियमित जांच और इलाज की जरूरतें बुजुर्गों की आर्थिक स्थिति को कमजोर बना देती हैं। इसके अलावा, महंगाई दर में निरंतर वृद्धि के कारण उनकी पेंशन की वास्तविक क्रय शक्ति लगातार घट रही है। परिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ भी कई बार उन पर ही आ जाता है।

सामाजिक सम्मान की आवश्यकता

पेंशन केवल एक आर्थिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह उस सेवा का उचित प्रतिदान है जो इन व्यक्तियों ने अपने कार्यकाल में देश के लिए की है। समाज में बुजुर्गों का सम्मान हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। उनकी देखभाल और उनकी जरूरतों को समझना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।

सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ देखेगी। यदि नीति निर्माताओं को वास्तव में समाज के सभी वर्गों की भलाई चाहिए, तो पेंशनभोगियों की इन उचित मांगों पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है। यह न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार लाएगा, बल्कि एक न्यायसंगत और संवेदनशील समाज के निर्माण में भी योगदान देगा।

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अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी नीतिगत विषय पर अंतिम निर्णय संबंधित सरकारी विभागों और अधिकारियों का होता है। पाठकों से अनुरोध है कि वे आधिकारिक स्रोतों से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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