केवल रजिस्ट्री से नहीं मिल जाएगा प्रोपर्टी का मालिकाना हक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला Supreme Court

By Meera Sharma

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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है जो भारत में संपत्ति की रजिस्ट्री और मालिकाना हक की पारंपरिक समझ को पूरी तरह बदल देता है। इस निर्णय के अनुसार अब केवल संपत्ति की रजिस्ट्री होने मात्र से किसी व्यक्ति का उस संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व नहीं माना जाएगा। यह फैसला रियल एस्टेट सेक्टर और संपत्ति धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।

रजिस्ट्री और स्वामित्व के बीच महत्वपूर्ण अंतर

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है कि संपत्ति की रजिस्ट्री केवल किसी व्यक्ति के दावे का समर्थन करती है, लेकिन यह उस संपत्ति पर कानूनी कब्जे या नियंत्रण के बराबर नहीं है। कोर्ट के अनुसार वास्तविक स्वामित्व के लिए रजिस्ट्री के साथ-साथ अन्य कानूनी दस्तावेज और प्रमाण भी आवश्यक होते हैं। यह निर्णय उन पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती देता है जिनके अनुसार रजिस्ट्री होने पर व्यक्ति संपत्ति का पूर्ण मालिक हो जाता था।

अब तक भारत में यह समझा जाता था कि यदि आपके नाम पर कोई संपत्ति रजिस्टर है तो आप उसके कानूनी मालिक हैं और उसे बेच या ट्रांसफर कर सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने इस धारणा को जड़ से हिला दिया है। अब वास्तविक स्वामित्व साबित करने के लिए अधिक कड़े नियम और दस्तावेजी प्रमाण की आवश्यकता होगी।

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स्वामित्व के लिए क्या है आवश्यक

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया है कि संपत्ति पर वास्तविक स्वामित्व के लिए केवल रजिस्ट्रेशन पर्याप्त नहीं है बल्कि ओनरशिप का होना आवश्यक है। ओनरशिप का मतलब है कि व्यक्ति के पास संपत्ति के उपयोग, प्रबंधन और ट्रांसफर का पूर्ण कानूनी अधिकार हो। यह अधिकार केवल रजिस्ट्री से नहीं बल्कि संपत्ति से जुड़े सभी कानूनी दस्तावेजों की जांच के बाद ही मिलता है।

कोर्ट का मानना है कि इस नई व्यवस्था से संपत्ति विवादों में कमी आएगी और संपत्ति धोखाधड़ी के मामलों पर भी प्रभावी रोक लगेगी। अब संपत्ति खरीदने या बेचने से पहले सभी पक्षों को अधिक सतर्कता बरतनी होगी और संपत्ति के सभी कानूनी पहलुओं की गहरी जांच करनी होगी।

रियल एस्टेट सेक्टर पर व्यापक प्रभाव

इस महत्वपूर्ण फैसले का सबसे ज्यादा प्रभाव रियल एस्टेट डेवलपर्स और संपत्ति खरीदारों पर पड़ेगा। अब डेवलपर्स को संपत्ति की बिक्री के समय केवल रजिस्ट्री के दस्तावेज दिखाना पर्याप्त नहीं होगा। उन्हें संपत्ति के वास्तविक स्वामित्व को साबित करने वाले सभी कानूनी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।

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विशेष रूप से उन लोगों पर इसका गहरा असर पड़ेगा जो विरासत में मिली संपत्ति का लेन-देन करते हैं। पुश्तैनी जमीन-जायदाद के मामले में अब अधिक सावधानी बरतनी होगी क्योंकि केवल रजिस्ट्री के आधार पर इसकी बिक्री संभव नहीं होगी।

संपत्ति खरीदारों के लिए नए दिशा-निर्देश

इस फैसले के बाद संपत्ति खरीदारों को अधिक सतर्कता बरतनी होगी। अब केवल रजिस्ट्री देखकर संपत्ति खरीदना पर्याप्त नहीं होगा। खरीदारों को यह सुनिश्चित करना होगा कि विक्रेता के पास संपत्ति का वास्तविक स्वामित्व है या केवल रजिस्ट्री है। कानूनी सलाहकारों ने सभी संपत्ति मालिकों को अपने सभी संपत्ति दस्तावेजों का कानूनी सत्यापन करवाने की सलाह दी है।

यह निर्णय संपत्ति लेन-देन को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो भविष्य में संपत्ति से जुड़े विवादों को कम करने में सहायक होगा।

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डिस्क्लेमर

यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए। संपत्ति संबंधी मामलों में हमेशा योग्य कानूनी सलाहकार से परामर्श लें। कानूनी नियम समय-समय पर बदल सकते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।

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Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

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